हमले में मारे गए लोगों में कर्नाटक के शिवमोगा निवासी एक बिज़नेसमैन मंजूनाथ का नाम भी है.
मंजूनाथ अपनी पत्नी पल्लवी राव और बेटे अभिजय के साथ कश्मीर गए थे और अपनी यात्रा के तीसरे दिन पहलगाम पहुंचे थे.
पल्लवी ने बताया कि पहलगाम में पहुंचने के कुछ देर बाद ही हमला हुआ और उनके पति को उनके और बेटे के सामने ही गोली मार दी गई.
पल्लवी ने समाचार चैनल टीवी9 कन्नड़ से , "मैंने कहा कि मुझे भी गोली मार दो...मेरे बेटे ने भी कहा कि मेरे पापा को मार दिया हम दोनों को भी मार दो. इस पर हमलावर ने कहा कि हम तुम्हें नहीं मारेंगे. जाकर मोदी को बोलो."
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मंजूनाथ की बहन , "मंगलवार की शाम 4.30 बजे मेरे भाई के दोस्त ने फ़ोन पर सूचना दी. लेकिन उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने की बात कही थी. बाद में हमें समाचारों से पता चला. वो पहली बार कश्मीर गए थे. इससे पहले वो कभी बाहर नहीं गए थे. मेरी भाभी और भतीजे की छुट्टियां थीं और इसीलिए वे गए थे."
फ़ोन पर भाभी ने रूपा को बताया कि वह और उनका बेटा सुरक्षित हैं और वे 24 अप्रैल को वापस लौटेंगे.
यह हमला पहलगाम से पांच किलोमीटर दूर पहाड़ी पर एक चौड़े मैदान में स्थित टूरिस्ट जगह पर हुआ था.
इस हमले के जो वीडियो सोशल मीडिया में आ रहे हैं उसमें ज़िंदा बचे पर्यटक बदहवास दिख रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें एक महिला अपने पति के शव के पास बैठी है.
यह तस्वीर विनय नरवाल और उनकी पत्नी हिमांशी की है. नरवाल भारतीय नौसेना में लेफ़्टिनेंट थे.
एक अन्य वीडियो में बचाने पहुंचे एक व्यक्ति से एक महिला कहती सुनी जा सकती है कि सादे लिबास में एक व्यक्ति ने उनके पति को गोली मार दी.
स्थानीय पोर्टर सैयद हुसैन शाह
पहलगाम में चरमपंथी हमले में मारे गए लोगों में अनंतनाग निवासी सैयद हुसैन शाह का नाम भी शामिल है.
उनकी मां ने एएनआई से बात करते हुए कि उनका बेटा घर में एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति था. वह पहलगाम में पर्यटकों को घोड़े पर ले जाने का पोर्टर का काम करते थे.
सैयद हुसैन शाह के परिवार के एक सदस्य ने , "वह पहलगाम मज़दूरी करने गए थे... 3 बजे हमें हमले की सूचना मिली. हमने जब उन्हें फ़ोन किया तो उठा नहीं. हमने थाने में जाकर शिकायत दर्ज करवाई. हमें इंसाफ चाहिए. दोषियों को सजा मिलनी चाहिए."
प्रत्यक्षदर्शियों ने क्या बतायापहलगाम में पर्यटक पुलिसकर्मी के रूप में काम करने वाले एक स्थानीय शख़्स ने बताया कि हमले के दौरान वह घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर थे.
समाचार एजेंसी से उन्होंने कहा, "2.40 बजे मैं वुज़ू करने के लिए टूरिस्ट स्थल से 100 मीटर नीचे आ गया था. उसी समय हमने दो बार फ़ायरिंग की आवाज़ सुनी और उसके बाद गोलियां चलनी शुरू हो गई थीं."
उन्होंने बताया, "हम घटना स्थल पर पहुंचे और तीन घायलों को सुरक्षित जेएमसी अस्पताल पहुंचाया. यह पहाड़ी इलाक़ा है और जब तक सरकारी अमला पहुंचा उससे पहले रेस्क्यू हो चुका था."
मौके पर मौजूद एक अन्य स्थानीय व्यक्ति गुलज़ार अहमद ने समाचार एजेंसी , "हम स्टैंड में खड़े थे और कस्टमर ऊपर 'मिनी स्विट्ज़रलैंड' की तरफ़ चले गए थे. दोपहर करीब 2:45 बजे अचानक भगदड़ मच गई."
उन्होंने कहा, "लोग इधर-उधर भागने लगे. जब हमने पूछा तो पता चला कि गोली चली है... लोग नंगे पैर भागते आ रहे थे. जो लोग नीचे थे वह वहीं से लौटने लगे. उस समय नीचे दो तीन सौ लोग मौजूद थे. पैनिक का माहौल पैदा हो गया था. जो गाड़ियां नीचे खड़ी थीं, लोग स्टार्ट करके भागना शुरू कर दिया."
उन्होंने कहा, "इस हमले का निश्चित रूप से यहां के पर्यटन पर असर पड़ेगा क्योंकि इसके बाद हम चाहे कुछ भी कर लें, हम लोगों का भरोसा कभी नहीं जीत पाएंगे."
महाराष्ट्र के छह पर्यटक मारे गए
के अनुसार, पहलगाम हमले के दौरान महाराष्ट्र के कई पर्यटक मौजूद थे और बताया जा रहा है कि इनमें से 6 की मौत हो गई है. कुछ लोग घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है.
ठाणे जिले के तीन पर्यटकों की मौत हुई है- संजय लेले, अतुल मोने और हेमंत जोशी. मृतकों में पनवेल का एक और पुणे के दो लोगों के नाम शामिल हैं.
मारे गए पनवेल निवासी दिलीप देसले की उम्र 60 साल थी. उनके साथ मौजूद सुबोध पाटिल (उम्र 42 साल) घायल हो गए और फिलहाल उनका श्रीनगर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है.
प्रशासन ने जानकारी दी है कि पुणे के संतोष जगदाले और कौस्तुभ गणबोटे की मौत हो गई है. जगदाले की पत्नी का इलाज चल रहा है.
हमले के समय नागपुर का एक परिवार भी वहां मौजूद था. गोलियों की आवाज सुनकर वे पहाड़ी से कूद गए और सिमरन रूपचंदानी गिरकर घायल हो गईं. उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया है.
तिलक और गर्व रूपचंदानी भी उनके साथ हैं. तीनों सुरक्षित हैं. उनसे संपर्क किया गया है और उन्हें सभी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है.
शवों को हवाई जहाज से मुंबई और पुणे ले जाया जाएगा. चार लोगों के शव मुंबई जबकि दो लोगों के शव पुणे ले जाया जाएगा.
ठाणे के संजय लेले की उम्र लगभग 50 वर्ष थी. वह मुंबई में एक फ़ार्मा कंपनी में काम करते थे. उनका एक बेटा है जो लगभग 18 वर्ष का है.
उनके चचेरे भाई कौशिक लेले ने बीबीसी मराठी को बताया, "हमें कल रात इस बारे में पता चला. परिवार सदमे में है. यह दिल दहला देने वाली घटना है. हम वहां पर्यटन के लिए जाते हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसा कुछ हुआ."
43 वर्षीय अतुल मोने ठाणे में डोंबिवली पश्चिम के ठाकुरवाड़ी में रहते थे. दो दिन पहले मोने का पूरा परिवार पर्यटन के लिए कश्मीर गया था. अतुल मोने मध्य रेलवे में वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे. वह अपनी पत्नी और 18 वर्षीय बेटी के साथ कश्मीर गए थे.
स्थानीय मीडिया में आ रही ख़बरों में कहा जा रहा है कि हमले के दौरान सैकड़ों पर्यटक मौजूद थे.
एक निजी समाचार चैनल को उसके स्थानीय पत्रकार अशरफ़ बानी ने , "सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि सुरक्षा में चूक हुई है. ऐसे पर्यटन स्थल पर 2000 टूरिस्ट मौजूद थे और वहां न तो पुलिस बल की तैनाती थी न सुरक्षा बलों की. जबकि अमरनाथ यात्रा पर इतनी कड़ी सुरक्षा होती है कि दस दस मीटर पर सुरक्षाबल के जवान खड़े होते हैं."
भारत के सभी राजनीतिक दलों ने एक स्वर से चरमपंथी हमले की निंदा की है. कांग्रेस ने कि केंद्र शासित प्रदेश में हालात के सामान्य होने के खोखले वादे करने की बजाय केंद्र सरकार से इस हमले की ज़िम्मेदारी ले.
बुधवार को दोपहर बैसरान में उस जगह पहुंचे जहां चरमपंथी हमला हुआ था. वहां उन्होंने सुरक्षा का जायजा लिया है.
जबकि सऊदी अरब की यात्रा पर गए पीएम मोदी ने यात्रा बीच में ही रोककर बुधवार सुबह दिल्ली पहुंच गए और सुरक्षा एजेंसियों से हालात पर चर्चा की.
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