भारत के चीफ़ ऑफ डिफ़ेंस स्टाफ़ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है चीन के साथ सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी चुनौती है और आगे भी बनी रहेगी. दूसरी बड़ी चुनौती पाकिस्तान का परोक्ष युद्ध है, जिसकी रणनीति 'भारत को हज़ार जख्म' देकर उसे कमजोर करना है."
जनरल चौहान ने इस साल मई में पहलगाम हमले के बाद भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' का भी ज़िक्र किया और कहा है कि सेना ने इस दौरान 'आतंकी शिविरों' को तबाह किया था. इस ऑपरेशन में सेना को फ़ैसले लेने की पूरी आज़ादी थी.
जनरल चौहान ने ये टिप्पणी ऐसे समय में की है, जब हाल में चीन के तियानजिन शहर में हुए एससीओ सम्मेलन में भारत और चीन के रिश्तों में गर्माहट के संकेत मिलने की बात कही जा रही है. इस सम्मेलन में पाकिस्तान ने भी हिस्सा लिया था.
इसी साल जुलाई महीने में भारतीय सेना के डिप्टी चीफ़ राहुल सिंह ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने भारत की मिलिट्री तैनाती पर नज़र रखने के लिए अपने सेटेलाइट का इस्तेमाल किया और पाकिस्तान को इसकी रियल टाइम जानकारी दी थी. एक तरह से पाकिस्तान की ओर से चीन लड़ रहा था.
जनरल चौहान ने क्या कहा?जनरल चौहान ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ''देशों के सामने आने वाली चुनौतियां अस्थायी नहीं होतीं, बल्कि वे अलग-अलग रूपों में बनी रहती हैं. मेरा मानना है कि चीन के साथ सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी चुनौती है और आगे भी बनी रहेगी. दूसरी बड़ी चुनौती है पाकिस्तान का भारत के ख़िलाफ़ प्रॉक्सी वॉर, जिसकी रणनीति है हज़ार जख्म देकर भारत को कमजोर करना.''
उन्होंने कहा, "एक और चुनौती यह है कि युद्ध के क्षेत्र बदल चुके हैं. अब इसमें साइबर और अंतरिक्ष युद्ध भी शामिल हैं. हमारे दोनों प्रतिद्वंद्वी(चीन और पाकिस्तान) परमाणु शक्ति संपन्न हैं, और हमेशा यह चुनौती बनी रहेगी कि हम उनके ख़िलाफ़ किस प्रकार के सैन्य अभियान चलाना चाहते हैं."
उन्होंने मई में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' पर भी बात की.
उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर' का मक़सद आतंकी हमले का बदला लेना नहीं था, बल्कि ये बताना था कि हमारी सहनशीलता की रेडलाइन क्या है. हमें योजना बनाने से लेकर लक्ष्य चुनने तक पूरी स्वतंत्रता थी."

उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर एक मल्टी-डोमेन अभियान था, जिसमें साइबर वॉरफेयर और सेना की तीनों शाखाओं के बीच को-ऑर्डिनेशनल शामिल था.
गुरुवार को जनरल चौहान गोरखपुर पहुंचे थे. यहां उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ गोरखा वॉर मेमोरियल के रेनोवेशन और गोरखा म्यूजियम की आधारशिला रखी.
इसी साल जुलाई महीने में भी जनरल अनिल चौहान ने कहा था कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हित एक दूसरे से जुड़े हैं, जिनका असर क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ सकता है.
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आर्मी के डिप्टी चीफ़ ने भी ऑपरेशन सिंदूर में चीन और पाकिस्तान के भारत के ख़िलाफ़ मिलकर लड़ने की बात कही थी. डिप्टी चीफ़ राहुल सिंह ने कहा था भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष को चीन ने एक लाइव लैब की तरह इस्तेमाल किया था. वो देख रहा था कि पाकिस्तान को दिए गए उसके हथियार कैसे काम कर रहे हैं.
ऑपरेशन सिंदूर के ठीक बाद भी जनरल अनिल चौहान ने इस पर बात की थी. शांगरी-ला डायलॉग के बाद एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि, "ऐसा माना जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने चीन की कमर्शियल सेटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल किया होगा. हालांकि अब तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि उसे रियल-टाइम टारगेटिंग की मदद मिली."

अनिल चौहान ने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष के दौरान 'भारत के लड़ाकू विमान गिराए जाने' से जुड़े सवालों पर जवाब दिए थे.
उन्होंने ब्लूमबर्ग टीवी को दिए इंटरव्यू में इस बात पर ज़ोर दिया था कि 'ये ज़रूरी नहीं कि विमान गिराया गया, ज़रूरी ये बात है कि ऐसा क्यों हुआ.'
हालांकि, उन्होंने पाकिस्तान की ओर से छह विमानों को नुक़सान पहुंचने के दावे को सिरे से ख़ारिज भी कर दिया था
सीडीएस ने कहा था, "मुझे लगता है कि जो ज़रूरी है वो ये नहीं कि जेट गिराए गए बल्कि ये कि वो क्यों गिराए गए."
लेकिन सीडीएस ने विमानों की संख्या के बारे में कोई जवाब नहीं दिया था.
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बहरहाल, चीन को चुनौती बताने वाला जनरल चौहान का बयान ऐसे समय में आया है जब भारत के ख़िलाफ़ ट्रंप के 50 फ़ीसदी टैरिफ़ का चीन ने विरोध किया है.
इस महीने चीन के शहर तियानजिन में हुए शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी एससीओ की बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात के बाद कहा जा रहा है कि ये दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ के पिघलने का संकेत है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात साल के बाद चीन का दौरा किया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, रूस और चीन की तिकड़ी पर टिप्पणी की है.
उन्होंने ट्रुश सोशल पर लिखा, "ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को गहरे, अंधेरे चीन के हाथों खो दिया. उम्मीद करता हूं कि उनकी साझेदारी लंबी और समृद्ध हो."
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से जब ट्रंप की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, "मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है."
शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी आए थे.
इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भारत-अमेरिका संबंधों पर टिप्पणी करते हुए एक बार फिर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तीखी आलोचना की थी.
जॉन बोल्टन का कहना था कि डोनाल्ड ट्रंप के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बहुत अच्छे व्यक्तिगत संबंध थे लेकिन 'अब वह ख़त्म हो गए हैं.'
यह पहली बार नहीं है जब बोल्टन ने भारत पर लगाए अमेरिकी टैरिफ़ को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना की हो.
इससे पहले बोल्टन ने कहा था कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंध भारत को उसका तेल ख़रीदने से नहीं रोक सकते.
बोल्टन ट्रंप के क़रीबी रहे हैं. वे ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्यरत थे.
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