एक प्राइवेट क्रिकेट लीग को लेकर कश्मीर में विवाद खड़ा हो गया है. आरोप है कि आयोजक टूर्नामेंट के बीच में ही उसे छोड़कर चले गए और खिलाड़ियों, सहयोगी स्टाफ़ को उनका पैसा भी नहीं मिला. यहां तक कि होटल के बिलों का भुगतान भी नहीं किया.
इंडियन हेवन प्रीमियर लीग (IHPL) को पंजाब की युवा सोसायटी नाम की एक गैर-लाभकारी संस्था ने आयोजित किया था.
इस क्रिकेट लीग की शुरुआत काफ़ी अच्छी रही. शुरुआती मैचों में क्रिस गेल और डेवॉन स्मिथ जैसे अंतरराष्ट्रीय सितारों ने हिस्सा लिया, जिससे स्थानीय खिलाड़ियों को इन क्रिकेट दिग्गजों के साथ मेलजोल का मौका मिला.
मगर कुछ ही मैचों के बाद टूर्नामेंट रोक दिया गया. ये बताया जा रहा है कि इसके बाद होटल मालिकों और खिलाड़ियों को अपना भुगतान पाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है.
आरोप है कि आयोजक एक नवंबर की रात कश्मीर से अचानक चले गए. उस समय तक लीग के केवल 12 मैच ही खेले गए थे. ये लीग 25 अक्तूबर को शुरू हुई थी और आठ नवंबर तक चलनी थी.
हालांकि, अभी तक ये साफ़ नहीं हुआ है कि आयोजक क्यों चले गए, लेकिन स्थानीय खिलाड़ियों का कहना है कि लीग के मैचों को अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी. ऐसी उम्मीद थी कि मैच को देखने के लिए 25-30 हज़ार लोग आएंगे लेकिन ये नहीं हुआ. आईएचपीएल के अध्यक्ष आशु दानी ने बीबीसी के सवालों का जवाब नहीं दिया है.
वहीं, पुलिस का कहना है कि धोखाधड़ी और विश्वासघात का मामला दर्ज कर लिया गया है और इसकी जांच शुरू कर दी गई है.
खिलाड़ियों में ग़ुस्सा और निराशास्थानीय क्रिकेटरों ने बीबीसी को बताया कि जिस पहले मैच में क्रिस गेल खेल रहे थे, उसे देखने के लिए सिर्फ़ 400-500 लोग ही पहुंचे थे. आयोजकों ने टिकट की कीमत एक-तिहाई कम कर दी लेकिन फिर भी दर्शक नहीं आए.
लीग के इस तरह रुकने से स्थानीय क्रिकेटरों में गु़स्सा और निराशा है.
पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर परवेज़ रसूल ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इससे कश्मीर घाटी के उभरते क्रिकेटरों का मनोबल टूटा है. उन्होंने इस स्थिति के लिए खराब प्रबंधन को ज़िम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि उन्हें भी टूर्नामेंट के पैसे नहीं मिले.
स्थानीय क्रिकेटर अबिद नबी अपनी तेज़ गेंदबाज़ी के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने बीबीसी से कहा, "लोकल खिलाड़ियों के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करने और तजुर्बा पाने के लिए ये लीग बेहतरीन मौका हो सकती थी."
नबी ने कहा, "दुर्भाग्य से चीज़ें ठीक तरह से नहीं की गई थीं और खिलाड़ियों को ऐसे मुश्किल हालात में छोड़ दिया गया."
दो सप्ताह से भी ज़्यादा समय से आयोजक इस लीग के प्रचार के लिए होर्डिंग्स और पोस्टर लगा रहे थे.
लीग में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र की आठ टीमें थीं जिनमें स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही तरह के खिलाड़ियों को रखा गया था.
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इस पूरे मामले ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं कि बिना किसी निगरानी के ऐसा आयोजन कैसे होने दिया गया.
श्रीनगर के रैडिस कलेक्शन होटल के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी को बताया कि वे सीसीटीवी फुटेज देखकर "हैरान" रह गए थे. फुटेज में कथित तौर पर आयोजक आधी रात को होटल से भागते नज़र आ रहे थे.
उन्होंने आरोप लगाया कि होटल को सिर्फ़ आंशिक भुगतान मिला था. होटल ने आईएचपीएल से कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन ये बेकार गई.
इंग्लैंड की अंपायर मेलिसा जूनिपर ने कहा कि आयोजकों के भागने के बाद कई खिलाड़ी करीब तीन घंटे तक होटल में ही फंसे रहे.
स्थानीय प्रशासन के सूत्रों ने बीबीसी को बताया कि कथित तौर पर ब्रिटिश दूतावास के अधिकारियों के दखल के बाद ही होटल ने खिलाड़ियों को जाने दिया. हालांकि, होटल के मैनेजमेंट ने इस दावे से इनकार किया.
जूनिपर ने कहा, "हमने होटल प्रबंधन से यह समझौता किया कि खिलाड़ियों को अपने परिवारों के साथ घर लौटने दिया जाए."
उनका आरोप है कि होटल में मौजूद लगभग 40 स्थानीय और विदेशी खिलाड़ियों को अब तक करीब 50 लाख रुपये का भुगतान नहीं मिला है.
वहीं, कश्मीर के प्रशासन ने इस लीग के आयोजन में अपनी किसी भी ज़िम्मेदारी होने से इनकार किया है.
जम्मू-कश्मीर के डिविज़नल कमिश्नर अंशुल गर्ग ने बीबीसी से कहा कि प्रशासन की भूमिका सिर्फ़ कार्यक्रम और वेन्यू के लिए मंज़ूरी देने तक सीमित थी.
उन्होंने कहा, "हम निश्चित रूप से इस मामले की जांच करेंगे और देखेंगे कि भविष्य में ऐसे मामले दोबारा न देखने को मिलें"
लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने स्थानीय क्रिकेट प्रेमियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.
उत्तरी कश्मीर के रहने वाले ताहिर हुसैन ने कहा, "आप क्रिस गेल जैसे सितारों को बुलाकर फिर अचानक गायब नहीं हो सकते."
उन्होंने कहा कि इससे खिलाड़ियों, प्रशंसकों और स्थानीय लोगों का भरोसा टूट गया है.
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