ऑपरेशन सिंदूर में सेना और वायुसेना के साथ समन्वय स्थापित कर बीएसएफ ने अपना पराक्रम दिखाया और पाकिस्तान के नापाक इरादों को नाकाम कर दिया। यह जानकारी सीमा सुरक्षा बल के राजस्थान फ्रंटियर के महानिरीक्षक एमएल गर्ग ने आज प्रेस वार्ता में दी। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में सीमा सुरक्षा बल की ऑपरेशनल क्षमता, खुफिया समन्वय और बल के जवानों के अदम्य साहस की जानकारी दी। उन्होंने 23 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए क्रूर आतंकवाद को पड़ोसी देश की कायराना हरकत बताया। इसके जवाब में भारत सरकार की ओर से 7-8 मई 2025 की मध्य रात्रि को ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया, जिसमें सीमा सुरक्षा बल ने भी अपनी भूमिका निभाई।
बीएसएफ को तैयार रहने के निर्देश
पहलगाम हत्याकांड के बाद महानिदेशक सीमा सुरक्षा ने पश्चिमी सीमा पर संभावित खतरे का सटीक आकलन कर बीएसएफ को पूरी तरह तैयार रहने के निर्देश दिए थे। महानिदेशक सीएसयूबी ने महानिरीक्षक (संचालन) के साथ बीकानेर सेक्टर का दौरा किया तथा सीमा पर जवानों के बीच जाकर स्थिति की जानकारी ली। अंतर्राष्ट्रीय सीमा एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रतिक्रिया के लिए बल की उच्चतम स्तर की तैयारियों, सतर्कता एवं परिचालन कर्तव्यों के लिए तत्परता के लिए सभी सेक्टरों एवं कोर की समीक्षा की गई। साथ ही सीमा सुरक्षा बल के खुफिया तंत्र को और अधिक मजबूत किया गया तथा भारतीय सेना एवं वायुसेना के साथ समन्वय स्थापित कर परिचालन सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के निर्देश दिए।
सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन गतिविधियां बढ़ी
आईजी गर्ग ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राजस्थान के सीमावर्ती जिलों जैसलमेर, बीकानेर एवं श्रीगंगानगर में पाकिस्तान की ओर से लगातार ड्रोन गतिविधियां की गईं। राजस्थान फ्रंटियर, सीमा सुरक्षा बल ने भारतीय सेना एवं वायुसेना के साथ मिलकर हमारे हवाई क्षेत्र की सुरक्षा को चुनौती देने के प्रयासों को तत्परता से विफल किया। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भारतीय सेना, वायुसेना एवं राजस्थान पुलिस के साथ अद्वितीय समन्वय एवं तालमेल बनाए रखा। बीएसएफ ने श्रीगंगानगर से जैसलमेर तक राजस्थान फ्रंटियर के संपूर्ण ऑपरेशनल क्षेत्र में देश की सेनाओं के साथ आवश्यक एवं सामरिक सूचनाओं का त्वरित एवं निर्बाध आदान-प्रदान सुनिश्चित किया। इस दौरान सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के वरिष्ठ अधिकारियों को सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया गया ताकि सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाया जा सके।
श्रीगंगानगर से जैसलमेर तक राजस्थान फ्रंटियर के संपूर्ण ऑपरेशनल क्षेत्र में बीएसएफ ने देश की सेनाओं के साथ आवश्यक एवं सामरिक सूचनाओं का त्वरित एवं निर्बाध आदान-प्रदान सुनिश्चित किया। जिसके चलते पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन हमलों, जिनमें करीब 413 ड्रोन शामिल थे, को नाकाम किया गया। पाकिस्तान की ओर से चीनी मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया जिन्हें मार गिराया गया। बीएसएफ ने सेना के साथ समन्वय बनाए रखते हुए अदम्य साहस का परिचय दिया। पश्चिमी राजस्थान की सीमा से फलौदी की सीमा पर आई मिसाइल के बारे में बताया कि पाकिस्तान का निशाना फलौदी एयरबेस था लेकिन इसे हमारी वायुसेना ने नाकाम कर दिया। उन्होंने कहा कि बीएसएफ, थलसेना और वायुसेना ने मिलकर जिस तरह का मुंहतोड़ जवाब दिया, उसे पाकिस्तान हमेशा याद रखेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने चीनी मिसाइलों से हमला किया था, लेकिन भारतीय थलसेना और वायुसेना इतनी मजबूत थी कि उन्होंने इसे नाकाम कर दिया।
24 घंटे तैनात रहीं महिला प्रहरी
इसके अलावा सीमा पर रहने वाले लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा की गई और उन्हें हर स्थिति के लिए तैयार रखा गया। इस ऑपरेशन के दौरान हमारी महिला प्रहरियों ने 24 घंटे और सप्ताह के सातों दिन सीमा पर तैनात रहकर बेहतरीन काम किया और सीमा पर पूरी तरह से सतर्क रहीं। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में किए जा रहे रणनीतिक अभियानों के बारे में पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर झूठा और भ्रामक प्रचार किया जा रहा था। इन झूठे प्रचार का मुकाबला करने के लिए बीएसएफ ने सोशल मीडिया के माध्यम से सच्ची और तथ्य आधारित जानकारी साझा करना शुरू किया।
जवानों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में जैसलमेर में अग्रिम सीमा चौकियों का दौरा किया। आधिकारिक यात्रा के दौरान जैसलमेर सीमा पर उत्कृष्ट कार्य के लिए बीएसएफ के सहायक कमांडेंट पी.के. मिश्रा व अन्य जवानों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। यह सम्मान बीएसएफ की उत्कृष्टता व समर्पण का प्रतीक है।
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