युवाओं के बीच रिश्तों को लेकर सोचने-समझने का तरीका समय के साथ काफी बदला है, लेकिन कुछ मूलभूत सवाल आज भी वैसे ही प्रासंगिक हैं जैसे पहले थे। इन्हीं में से एक सवाल है – क्या लड़कियों को ज़्यादा फ्लर्ट (छेड़खानी या बार-बार आकर्षण जताना) करने वाले लड़के पसंद नहीं आते? यह सवाल न सिर्फ युवा पुरुषों के दिमाग में घूमता रहता है, बल्कि सोशल मीडिया, डेटिंग ऐप्स और रिलेशनशिप फोरम्स पर भी बार-बार उठता रहा है।
फ्लर्टिंग: आकर्षण या असहजता?
फ्लर्ट करना कोई नई चीज़ नहीं है। इंसानों की सामाजिक प्रवृत्ति में यह लंबे समय से शामिल रहा है। हल्की मुस्कान, आँखों का संपर्क, तारीफ करना – ये सब फ्लर्टिंग के हिस्से माने जाते हैं। लेकिन समस्या तब पैदा होती है जब यह व्यवहार अत्यधिक हो जाए या बार-बार और कई लोगों के सामने दोहराया जाए।कई लड़कियाँ इसे आत्मविश्वास का संकेत मान सकती हैं, लेकिन जब फ्लर्टिंग की मात्रा और तरीका हद से बाहर हो जाता है, तो यही आत्मविश्वास असभ्यता में तब्दील हो सकता है। यही वह बिंदु है जहाँ ज़्यादातर लड़कियाँ फ्लर्टी लड़कों से दूरी बनाने लगती हैं।
सर्वे और आंकड़ों की नज़र से
हाल ही में एक रिलेशनशिप पोर्टल द्वारा कराए गए ऑनलाइन सर्वे में यह बात सामने आई कि 74% महिलाएँ अत्यधिक फ्लर्ट करने वाले पुरुषों को "अविश्वसनीय" मानती हैं। उनका मानना है कि जो पुरुष हर लड़की के साथ एक जैसा फ्लर्टी व्यवहार करते हैं, वे किसी गंभीर रिश्ते की तलाश में नहीं होते। वहीं, 62% लड़कियाँ ऐसे लड़कों से दूरी बना लेती हैं जो बिना कारण और बार-बार शारीरिक कॉम्प्लिमेंट्स या ओवर फ्रेंडली व्यवहार करते हैं।इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि फ्लर्ट करना पूरी तरह गलत नहीं है, लेकिन जब यह आदत बन जाए या किसी की भावनाओं को अनदेखा कर किया जाए, तो यह नकारात्मक प्रभाव छोड़ सकता है।
मनोवैज्ञानिक क्या कहते हैं?
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो बार-बार फ्लर्ट करना कई बार आत्म-स्वीकृति या आत्म-सुरक्षा की कमी को भी दर्शाता है। कुछ पुरुष दूसरों की प्रतिक्रिया से खुद को 'प्रमाणित' महसूस करते हैं और इसलिए वे बार-बार महिलाओं से आकर्षण जताने का प्रयास करते हैं।
डॉ. रिचा शर्मा, जो कि एक रिलेशनशिप काउंसलर हैं, बताती हैं –
"कई पुरुष यह मानते हैं कि फ्लर्टिंग से उनका चार्म बढ़ता है, लेकिन अगर सामने वाला व्यक्ति असहज महसूस कर रहा हो, तो यह आकर्षण नहीं बल्कि उलझन बन जाता है।"
हर लड़की की पसंद अलग होती है
यह भी समझना ज़रूरी है कि हर लड़की की सोच और पसंद अलग होती है। कुछ महिलाएं ओपन माइंडेड होती हैं और उन्हें स्मार्ट तरीके से की गई फ्लर्टिंग बुरी नहीं लगती, खासकर अगर वह सीमाओं के अंदर हो और सम्मानजनक हो। वहीं, कुछ लड़कियाँ इसे अनावश्यक या परेशान करने वाला मानती हैं।मुख्य बात यह है कि फ्लर्टिंग तब तक ठीक है जब तक उसमें संवेदनशीलता, सीमाएं और सामने वाले की सहमति हो।
ओवर-फ्लर्टर्स से क्या परेशानी होती है?
अत्यधिक फ्लर्ट करने वाले लड़कों को अक्सर कुछ समान विशेषताओं से पहचाना जा सकता है – हर किसी के साथ समान व्यवहार करना, ज्यादा चिपकने की कोशिश करना, निजी बातें जल्दी करना, और बार-बार तारीफों की बौछार करना। ऐसे व्यवहार से लड़कियों को यह महसूस होता है कि वह खास नहीं हैं, और यह हर किसी के साथ होता है। यह 'जनरल अटेंशन' एक 'स्पेशल कनेक्शन' की भावना को खत्म कर देता है।
भरोसा और सम्मान है रिश्तों की नींव
किसी भी रिश्ते की नींव भरोसे और सम्मान पर टिकी होती है। फ्लर्टिंग जब स्पष्ट उद्देश्य और सम्मानजनक व्यवहार के साथ हो, तो वह रिश्तों की शुरुआत में मदद कर सकती है। लेकिन अगर यह केवल "किसी को इम्प्रेस करने" का टूल बन जाए और भावनाओं को नजरअंदाज किया जाए, तो यह आकर्षण की बजाय अविश्वास को जन्म देता है।
तो क्या सभी लड़कियाँ फ्लर्ट करने वाले लड़कों को नापसंद करती हैं? जरूरी नहीं। लेकिन अगर फ्लर्टिंग बार-बार, अति आत्मविश्वास और बिना सीमाओं के हो, तो उसका असर नकारात्मक होता है। फ्लर्टिंग में अगर ईमानदारी, ह्यूमर और सम्मान हो, तो वह एक अच्छी शुरुआत हो सकती है।याद रखिए, महिलाएं स्मार्ट हैं – वे ये आसानी से समझ लेती हैं कि कौन सच्चा है और कौन सिर्फ दिखावा कर रहा है। इसलिए सादगी, सच्चाई और इज्जत से किया गया संवाद ही सबसे असरदार होता है, न कि दिखावटी फ्लर्टिंग।
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