राजनीति और प्रशासन के टकराव का एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक ओर जनप्रतिनिधि ने कथित तौर पर “हाथ जोड़कर धमकी” दी, वहीं दूसरी ओर सस्पेंड पटवारी ने सीधे विधायक को फोन लगाकर शिकायत दर्ज कराई। मामला अब न केवल सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि जिले के प्रशासनिक गलियारों में भी हलचल मचा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, यह घटना जिले के एक विकासखंड कार्यालय में उस समय हुई जब संबंधित क्षेत्र के विधायक अपने समर्थकों के साथ किसी लंबित ज़मीन म्यूटेशन प्रकरण को लेकर पहुंचे थे। मौके पर मौजूद कर्मचारियों का कहना है कि विधायक ने वहां मौजूद निलंबित पटवारी को फटकार लगाई और कुछ देर तक दोनों के बीच तीखी नोकझोंक होती रही। इसी दौरान नेताजी ने “हाथ जोड़ते हुए” कहा — “आप लोग हमें मजबूर न करें, वरना हमें सख्त कदम उठाना पड़ेगा।”
इस कथन को लेकर वहां मौजूद अन्य कर्मचारियों और स्थानीय लोगों में खलबली मच गई। कुछ ने इस बयान को “संवेदनशील माहौल में अप्रिय इशारा” बताया, तो कुछ ने इसे “सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी” कहकर नज़रअंदाज़ किया।
घटना के तुरंत बाद निलंबित पटवारी ने अपने मोबाइल से विधायक को फोन किया और शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि उन्हें “अनुचित तरीके से दबाव में लाने की कोशिश” की जा रही है। पटवारी का दावा है कि वे पहले से ही निलंबन की स्थिति में हैं और किसी भी राजनैतिक दबाव में काम नहीं कर सकते। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग विधायक के नाम का इस्तेमाल कर व्यक्तिगत लाभ लेना चाहते हैं।
इस पूरे प्रकरण पर प्रशासन ने रिपोर्ट तलब कर ली है। जिला कलेक्टर ने कहा है कि “घटना की जांच कराई जाएगी और दोनों पक्षों से स्पष्टीकरण लिया जाएगा।” वहीं, विधायक समर्थक दल का कहना है कि नेताजी ने किसी को धमकी नहीं दी बल्कि “सिर्फ संयम की अपील” की थी।
घटना के बाद सोशल मीडिया पर वीडियो क्लिप वायरल हो गई है, जिसमें विधायक को हाथ जोड़ते हुए और पटवारी से बातचीत करते देखा जा सकता है। कई यूज़र्स ने इसे “नेता की धमकी” बताया, जबकि कुछ ने इसे “विनम्र अनुरोध” के तौर पर व्याख्यायित किया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला प्रशासनिक निष्पक्षता और जनप्रतिनिधियों की भूमिका के बीच खींचतान को उजागर करता है। सरकार के सख्त दिशा-निर्देशों के बावजूद, जमीनी स्तर पर ऐसे टकराव लगातार देखने को मिल रहे हैं।
फिलहाल, जिला प्रशासन ने मामले की जांच टीम गठित कर दी है और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है। देखना यह होगा कि यह “हाथ जोड़कर दी गई धमकी” आखिर प्रशासनिक कार्रवाई का रूप लेती है या फिर राजनीति की एक और कहानी बनकर रह जाती है।
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