दो साल पहले सरिस्का में 100 बीघा जमीन के आवंटन में शामिल दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते फाइलें बंद कर दी गईं। मामला दोबारा सामने आने पर प्रशासन ने कार्रवाई की बात तो कही, लेकिन अभी तक एसडीएम अलवर ने दोषियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की अनुशंसा नहीं की है।
कहा जा रहा है कि राजनीतिक दबाव के चलते इस मुद्दे को फिर से दबाने की कोशिश की जा रही है, जबकि भाजपा सरकार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के शासनकाल में हुए फर्जी भूमि आवंटन के मामलों में सख्त कार्रवाई कर रही है।
दोनों ने मिलकर घोटाला किया।
दो साल पहले धहलावास, रोगड़ा व सिराबास क्षेत्र में दो दर्जन लोगों को जमीन आवंटित की गई थी। पूर्व तहसीलदार से लेकर भू अभिलेख निरीक्षक और पटवारी तक सभी ने मिलकर खेल खेला और सरिस्का की जमीन आवंटित कर दी। जांच में यह बात साबित भी हो चुकी है। राजस्थान पत्रिका ने जब इसका खुलासा किया तो प्रशासन फिर हरकत में आया।
ये आदेश कलेक्टर द्वारा जारी किये गये हैं।
जिला कलेक्टर ने एसडीएम अलवर को संबंधित लोगों को चार्जशीट जारी करने के आदेश दिए, लेकिन अब तक चार्जशीट नहीं भेजी गई। बताया जा रहा है कि कार्रवाई के लिए राजस्व बोर्ड को सिफारिश की जाएगी। इस मामले में एसडीएम अलवर यशार्थ शेखर से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कोई ठोस जवाब नहीं दिया। कुछ दिन पहले यह जरूर कहा गया था कि आरोप पत्र में त्रुटियों को सुधारा जा रहा है।
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