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राजस्थान में किसानों को राहत! जानिए क्या है मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत योजना और कैसे उठा सकते है लाभ ?

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राजस्थान में मुख्यमंत्री अतिदेय ब्याज राहत योजना लागू की गई है। इसके तहत भूमि विकास बैंकों के अतिदेय ऋण सदस्यों को राहत प्रदान करने के लिए योजना लागू की गई है। इस संबंध में सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक ने बताया कि भूमि विकास बैंकों के अतिदेय ऋण सदस्यों को राहत प्रदान करने के लिए राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री अतिदेय ब्याज राहत योजना 2025-26 (सीएम ओटीएस) लागू की गई है। उन्होंने बताया कि योजना के माध्यम से ऋणी सदस्यों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 200 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।

योजना में कौन-कौन होंगे पात्र
गौतम कुमार दक ने बताया कि योजना के तहत वर्ष 2014-15 से राज्य सरकार की ब्याज अनुदान योजना के तहत वितरित ऋणों को छोड़कर भूमि विकास बैंकों के स्तर पर 1 जुलाई 2024 को अतिदेय हो चुके सभी ऋण प्रकरण राहत के पात्र होंगे। ऋणी द्वारा अतिदेय मूलधन एवं बीमा प्रीमियम की सम्पूर्ण राशि जमा करवाने पर राज्य सरकार अतिदेय ब्याज एवं दण्डनीय ब्याज में 100 प्रतिशत राहत प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि ऋणी किसानों एवं लघु उद्यमियों को बड़ी राहत प्रदान करने के साथ ही इस योजना से भूमि विकास बैंकों के ऋणों की वसूली एवं उनकी वित्तीय स्थिति पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

क्या है प्रावधान
सहकारिता मंत्री ने बताया कि योजना में पूर्व में वसूली हेतु नीलामी के दौरान भूमि विकास बैंकों के नाम पर क्रय की गई भूमि को किसानों को वापस करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, मृतक ऋणियों के मामलों में उनके उत्तराधिकारियों को भी योजना से लाभान्वित करने का प्रावधान है। पारदर्शिता की दृष्टि से योजना का क्रियान्वयन पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा। इसके लिए पात्र ऋणी सदस्यों को अपना जनआधार नम्बर एवं मोबाइल नम्बर सम्बन्धित भूमि विकास बैंक को उपलब्ध कराना होगा।

श्री दक ने बताया कि योजना का लाभ लेने वाले ऋणी सदस्यों को कृषि एवं गैर कृषि गतिविधियों के लिए राज्य सरकार की 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान योजना के तहत नया ऋण देकर लाभान्वित किया जाएगा, जिससे उनका आर्थिक उत्थान होगा। सहकारिता मंत्री ने भूमि विकास बैंक के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि सभी पात्र व्यक्तियों को योजना का लाभ मिले। इसके लिए योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए तथा सभी पात्र व्यक्तियों तक इसकी जानकारी पहुंचाई जाए। साथ ही, अधिकारी अपने स्तर पर ऋणी सदस्यों को योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित करने के लिए पूरे मनोयोग से प्रयास करें।

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