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NEET 2025 में बदली परीक्षा की परिभाषा, विशेषज्ञ बोले- रटने से नहीं, समझ से बनेगा डॉक्टर

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देश की सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी 2025 ने इस साल अपना पैटर्न बदलकर न केवल छात्रों को चौंका दिया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि सफलता पाने के लिए अब सिर्फ सीखना ही काफी नहीं होगा। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित यह परीक्षा रविवार 4 मई को दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित की गई थी। देश भर के 500 से अधिक शहरों के 5,453 केंद्रों पर आयोजित इस परीक्षा के लिए 22.7 लाख से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया, जो एक रिकॉर्ड है।

24 के बजाय केवल चार पेपर सेट बनाए गए।
इस बार नीट 2025 में सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ कि हर साल करीब 24 पेपर सेट तैयार किए जाते थे, लेकिन इस बार सिर्फ चार पेपर सेट ही तैयार किए गए। लेकिन ये चारों सेट न केवल अधिक कठिन थे, बल्कि इनमें गहन अनुप्रयोग-आधारित और विश्लेषणात्मक सोच की भी आवश्यकता थी।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार प्रश्नों के स्वरूप से यह स्पष्ट हो गया है कि अब परीक्षा में उन विद्यार्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी जो तथ्यों को केवल रटने के बजाय अवधारणाओं को गहराई से समझते हैं।

जीव विज्ञान, भौतिकी में वैचारिक बदलाव एक चुनौती बन गया है
जीव विज्ञान खंड एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर आधारित था, लेकिन इसमें पूछे गए प्रश्न सीधे तौर पर नहीं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से पूछे गए थे। यह परिवर्तन परीक्षा की मानसिकता को दर्शाता है जो समझ और विश्लेषण के आधार पर मूल्यांकन को प्राथमिकता देता है।

छात्रों ने भौतिकी और रसायन विज्ञान, विशेषकर भौतिकी को इस समय की सबसे बड़ी चुनौती बताया। आधुनिक भौतिकी, विद्युतगतिकी और ऊष्मागतिकी जैसे विषय छात्रों को समय की भारी कमी से जूझना पड़ता है। कई प्रश्नों के लिए बहु-चरणीय गणना और स्थितिजन्य तर्क की आवश्यकता थी, जो एम्स जैसी पिछली परीक्षाओं की याद दिलाते थे।

'हमें शिष्टाचार सीखने की नहीं, बल्कि चिकित्सीय सोच सीखने की जरूरत है'
शिक्षा विशेषज्ञ नितिन विजय ने परीक्षा के बाद कहा कि नीट 2025 में एक नई मानसिकता स्पष्ट रूप से दिखाई दी। अब सिर्फ किताब की लाइनें याद करना काफी नहीं है। इस बार परीक्षा में परिपक्वता, स्पष्ट सोच और डॉक्टर की तरह सोचने की क्षमता पर ध्यान केंद्रित किया गया। उन्होंने आगे कहा कि यह परिवर्तन योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। परीक्षाओं के लिए अब गहन समझ और विशिष्ट समस्या समाधान कौशल की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि हमारे संस्थान ने परीक्षा के तुरंत बाद उत्तर कुंजी जारी कर दी, जिससे छात्रों को आत्म-मूल्यांकन में मदद मिली।

भौतिकी की कठिनाई कट-ऑफ को प्रभावित कर सकती है
विशेषज्ञों का मानना है कि भौतिकी की असाधारण कठिनाई का इस वर्ष के कट-ऑफ स्कोर पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है, विशेष रूप से शीर्ष सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए। हालांकि, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान में अपेक्षाकृत आसान प्रश्नों ने कुछ संतुलन बनाए रखा, जिससे अच्छी तैयारी के साथ परीक्षा देने वाले छात्रों को राहत मिली।

NEET बना चिकित्सा शिक्षा का एकमात्र प्रवेश द्वार
गौरतलब है कि NEET UG भारत में मेडिकल स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए एकमात्र प्रवेश परीक्षा है। पिछले कुछ वर्षों में इसके नामांकन में लगातार वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2024 में 24,06,079 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया, जबकि 2023 में यह संख्या 20,87,462 थी। इससे पहले 2022, 2021, 2020 और 2019 में यह आंकड़ा क्रमश: 18.7 लाख, 16.1 लाख, 15.9 लाख और 15.1 लाख था।

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