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कर्नल सोफिया पर अभद्र टिप्पणी करने वाले भाजपा नेता पर भड़के पायलट, वीडियो में देखें बोले- फौजियों का अपमान बर्दाश्त नहीं

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भारतीय सेना की बहादुर महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। मध्य प्रदेश के एक भाजपा नेता द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' में अहम भूमिका निभाने वाली कर्नल कुरैशी को लेकर की गई टिप्पणी को कांग्रेस ने फौज और महिला सशक्तिकरण दोनों का अपमान बताया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि भाजपा को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

सचिन पायलट ने कहा, "जिनकी तीसरी पीढ़ी फौज में सेवा दे रही है, उनके प्रति भाजपा नेताओं ने जिस तरह का अनादर दिखाया है, वह बेहद निंदनीय है। कर्नल सोफिया कुरैशी जैसी अधिकारी हमारी सेना की शान हैं। उन्होंने देश के लिए गर्व की बात की है, और उनके खिलाफ इस प्रकार की टिप्पणी सिर्फ भाजपा की मानसिकता को दर्शाती है।"

गौरतलब है कि हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ हुए गुप्त सैन्य मिशन 'ऑपरेशन सिंदूर' से जुड़ी कुछ जानकारियों के सामने आने के बाद, सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी एक बार फिर चर्चा में आईं। बताया जा रहा है कि इस ऑपरेशन में उनकी भूमिका निर्णायक रही, जिसकी सराहना रक्षा विशेषज्ञों और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी की है। लेकिन इसी बीच भाजपा के एक स्थानीय नेता ने सोशल मीडिया पर कर्नल कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिससे विवाद खड़ा हो गया।

भाजपा नेता की इस टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। सेना के कई पूर्व अधिकारी, महिला अधिकार कार्यकर्ता और आम नागरिकों ने भी भाजपा से इस पर सफाई मांगी है। वहीं कांग्रेस ने इसे भाजपा की "सेना-विरोधी" और "महिला-विरोधी" मानसिकता का उदाहरण करार दिया है।

सचिन पायलट ने आगे कहा, "हमारे देश की रक्षा करने वाली महिलाओं को अगर इस तरह से नीचा दिखाया जाएगा, तो यह पूरे देश का अपमान होगा। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को तुरंत इस बयान से पल्ला झाड़ते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और संबंधित नेता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।"

फिलहाल भाजपा की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी के भीतर भी इस मामले को लेकर असहजता देखी जा रही है। कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी निजी तौर पर इस बयान को 'अनुचित' बताया है।

यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि सेना जैसे संवेदनशील और सम्मानजनक संस्थान के विषयों पर राजनीति करते समय जिम्मेदारी और संवेदनशीलता अत्यंत आवश्यक है। खासकर जब देश की महिलाएं भी राष्ट्ररक्षा में बराबर की भागीदार बन रही हैं, तो उनके सम्मान की रक्षा करना हर राजनीतिक दल का कर्तव्य है।

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