नालंदा । राजगीर के विशालकाय राजगीर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की पृष्ठभूमि में स्थित उनके छोटे-से कियोस्क भले ही देखने में मामूली लगते हों लेकिन वहां से मिलने वाला संदेश हजारों लोगों के दिलों-दिमाग पर गहरा प्रभाव छोड़ गया। इस पहल ने खेलों में मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
सिम्पली पीरियड’ कियोस्क, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण और सिम्पली स्पोर्ट फाउंडेशन की एक संयुक्त पहल है जिसे खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 बिहार के दौरान शुरू किया गया है। इन कियोस्कों ने युवा खिलाड़ियों, कोचों, सहयोगी स्टाफ और खेल प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया—जो जानने, बातचीत करने और सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए जागरूक किये गये।एसएसएफ की रिसर्च लीड मानसी सातलकर ने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य कोचों और सहयोगी स्टाफ को मासिक धर्म से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं, पीरियड उत्पादों और स्वच्छता के मुद्दों को लेकर संवेदनशील बनाना था, जिनका सामना महिला खिलाड़ी करती हैं। उन्होंने कहा, “हमने डेटा भी इकट्ठा किया ताकि यह समझ सकें कि ज़मीनी हकीकत क्या है और विभिन्न समूह—जैसे खिलाड़ी, कोच और स्टाफ—इस विषय पर क्या सोचते हैं।सर्वेक्षण के बारे में विस्तार से बताते हुए मानसी ने कहा कि एसएसएफ ने पांच प्रमुख विषयों पर डेटा एकत्र किय मासिक धर्म स्वच्छता2खेल में बुनियादी ढांचे की स्थिति3खेल गतिविधियों के दौरान पीरियड का प्रबंधन मासिक धर्म से संबंधित संवाद के साथ ही टैम्पोन, मेंस्ट्रुअल कप जैसे उत्पादों की जानकारी और स्वीकार्यता को जगह मिली है।
उन्होंने बताया कि पहले सप्ताह में ही लगभग 800 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। वह कहती हैं, “हम बीएसएसए के साथ मिलकर इस सर्वेक्षण के नतीजों को जारी करने की योजना बना रहे हैं, ताकि सभी लोग इस विषय से जुड़े प्रमुख मुद्दों और भविष्य के लिए सिफारिशों के बारे में जान सकें।” सर्वेक्षण में भाग लेने वालों को हाइजीन पार्टनर की ओर से पीरियड केयर किट दी गई, लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण यह था कि वे कियोस्क से ज्यादा जानकारी और जागरूकता लेकर लौटे। वहां उन्हें संक्षिप्त शैक्षणिक सत्रों के माध्यम से पीरियड उत्पादों, प्रजनन शारीरिक रचना, मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं, पसीने के प्रबंधन और दर्द से राहत के बारे में बताया गया।पूर्व भारतीय महिला रग्बी टीम की कप्तान नेहा पर्देसी (जो अब दिल्ली रग्बी की सचिव हैं और यहां कांस्य पदक जीतने वाली लड़कियों की टीम के साथ कोच के रूप में मौजूद थीं) ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “यह एक बहुत ही अच्छी पहल है और हमें इस तरह के प्रयास हर स्तर पर करने चाहिए, केवल राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में ही नहीं।मानसी सातलकर ने बताया कि राजगीर में कियोस्क पर आने वालों में शुरू में थोड़ी झिझक थी, जबकि पटना में प्रतिभागी अपेक्षाकृत खुले थे। उन्होंने एक मार्मिक घटना साझा करते हुए कहा, “जब एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि इस तरह के विषय सार्वजनिक रूप से चर्चा के लायक नहीं हैं, तब एक युवा महिला खिलाड़ी ने शालीनता से जवाब दिया कि यह एक जरूरी विषय है और इसके बारे में खुलकर बात करने में कोई शर्म नहीं है।कुछ साल पहले तक ऐसी जगहों पर जाकर तस्वीर खिंचवाना भी हिचक का कारण होता, खासकर जहां पीरियड उत्पाद खुले में प्रदर्शित हों। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। जब खेलो इंडिया के एक फोटोग्राफर ने वहां मौजूद लड़कियों और महिलाओं से पूछा कि क्या उनकी कुछ तस्वीरें ली जा सकती हैं, तो किसी ने भी मना नहीं किया—सभी ने आत्मविश्वास से -हां- कहा है।
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